Language
कोलेस्ट्रॉल लेवल- आपको क्या जानना चाहिए
286722 Views
0
कोलेस्ट्रॉल आपकी बॉडी और किसी खास खाने में पाया जाने वाला एक मोम जैसा तत्व होता है। यह कई शारीरिक गतिविधियों में अहम भूमिका निभाता है लेकिन ज्यादा हाई "बैड" कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) दिल की बीमारियों की वजह बन सकता है। "गुड" कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) अतिरिक्त एलडीएल को खत्म करने में मदद करता है। स्वस्थ्य जीवन शैली, आहार और अगर जरूरी हो तो दवाओं के माध्यम से कोलेस्ट्रॉल को संतुलित करना दिल की सेहत के लिए जरूरी होता है।
कोलेस्ट्रॉल के फैक्टर और कोलेस्ट्रॉल की कुल नॉर्मल वैल्यू जानने के लिए आगे पढ़िए। आपको बॉडी में अन्य कोलेस्ट्रॉल वैल्यू के बारे में भी जानकारी मिलेगी।
कोलेस्ट्रॉल का क्या मतलब होता है?
कोलेस्ट्रॉल मोम, वसा जैसा तत्व होता है जो आपकी बॉडी के सभी सेल में पाया जाता है। आपकी बॉडी को हार्मोन, विटामिन डी और खाना पचाने में मदद करने वाले तत्व बनाने के लिए कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है। आपकी बॉडी अपनी जरूरत के हिसाब से कोलेस्ट्रॉल बना लेती है लेकिन आप जो खाना खाते हैं, उससे भी अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल आपको मिल जाता है। आपकी बॉडी में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल हटाने के लिए सिस्टम होता है लेकिन आपके खून में बहुत ज्यादा कोलेस्ट्रॉल दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कोलेस्ट्रॉल आपकी धमनियों की दीवारों पर जम जाता है और इससे प्लाक बनते हैं। यह प्लाक आपकी धमनियों को संकीर्ण या ब्लॉक कर सकते हैं, इससे खून दिल और दिमाग में आसानी से फ्लो नहीं हो पाता है।
कोलेस्ट्रॉल लेवल कैसे नापा जाता है?
कोलेस्ट्रॉल को एक ब्लड टेस्ट के साथ नापा जाता है, जिसे लिपिड टेस्ट कहते हैं। यह टेस्ट आपके खून में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, एचडीएल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल की कुल रेंज को नापता है।
लिपिड पैनल के लिए तैयारी करनी है तो आपको टेस्ट के 9-12 घंटे पहले से फास्टिंग करनी चाहिए। इसका मतलब है उस दौरान पानी के आलावा कुछ भी न खाया और पिया जाए।
टेस्ट के दौरान, एक हेल्थकेयर प्रोफेशनल आपके हाथ की नस से खून निकालेंगे। इस खून को लैबोरेट्री में आंकलन के लिए भेजा जाएगा।
आपका लिपिड पैनल रिजल्ट कुछ ही दिनों में मिल जाएगा। डॉक्टर आपके परिणमों की समीक्षा करेंगे और जीवनशैली के जरूरी बदलाव या दवाओं के बारे में बताएंगे।
कोलेस्ट्रॉल लेवल जांचने के लिए जरूरी कदमों के बारे में यहां बताया गया है:
- टेस्ट से पहले 9-12 घंटे का फास्ट।
- आपके हाथ की नस से खून का नमूना लिया जाएगा।
- आंकलन के लिए खून का नमूना लैबोरेट्री भेजा जाएगा।
- डॉक्टर के साथ परिणाम की समीक्षा की जाएगी।
कोलेस्ट्रॉल के कितने प्रकार होते हैं?
कोलेस्ट्रॉल के दो खास प्रकार होते हैं:
- लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल (Low-density lipoprotein (LDL) cholesterol):
एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को "बैड" कोलेस्ट्रॉल मना जाता है क्योंकि यह धमनियों की दीवारों पर इकट्ठा हो जाता है। इससे धमनियां सख्त (एथेरोस्क्लेरोसिस) हो जाती हैं, जिससे दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। एलडीएल नॉर्मल वैल्यू 100 mg/dL (3।4mmol/L) से कम होती है।
- हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल (High-density lipoprotein (HDL) cholesterol):
एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को "गुड" कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है क्योंकि यह धमनियों से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को खत्म कर देता है। यह धमनियों को साफ रखने और दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को कम करने में मदद करता है। एचडीएल नॉर्मल वैल्यू 40 mg/dL (1mmol/L) या इससे ज्यादा होती है।।
अन्य तरह के कोलेस्ट्रॉल की लिस्ट नीचे दी गई है-
- वेरी लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (वीएलडीएल) कोलेस्ट्रॉल (Very low-density lipoprotein (VLDL) cholesterol): वीएलडीएल कोलेस्ट्रॉल एक तरह की वसा है जो लिवर में बनती है और रक्तप्रवाह में शामिल हो जाती है। वीएलडीएल कोलेस्ट्रॉल रक्तप्रवाह में ही एलडीएल में बदल जाता है।
- इंटरमीडिएट-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (आईडीएल)(Intermediate-density lipoprotein (IDL) cholesterol): आईडीएल कोलेस्ट्रॉल तब बनता है जब वीएलडीएल कोलेस्ट्रॉल से उसकी कुछ ट्राइग्लिसराइड कम हो जाती है। आईडीएल कोलेस्ट्रॉल एलडीएल कोलेस्ट्रॉल या एचडीएल कोलेस्ट्रॉल में बदल सकता है।
- एलपी(अ) कोलेस्ट्रॉल (Lp(a) cholesterol): एलपी(अ) कोलेस्ट्रॉल एलडीएल जैसा ही कोलेस्ट्रॉल होता है लेकिन इसमें एक अतिरिक्त प्रोटीन भी होता है। एलपी (अ) कोलेस्ट्रॉल धमनियों की दीवार पर जम सकता है और दिल की बीमारी के साथ स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ा सकता है।
आपके कोलेस्ट्रॉल नंबर का क्या मतलब होता है?
आपका कोलेस्ट्रॉल नंबर आपके दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को समझने में मदद करता है। चार खास कोलेस्ट्रॉल नंबर हैं:
कुल कोलेस्ट्रॉल (Total cholesterol): यह आपके खून में कोलेस्ट्रॉल की कुल राशि है।
एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (LDL cholesterol): यह "बैड" कोलेस्ट्रॉल है जो धमनियों में जम सकता है और प्लाक बना सकता है।
एचडीएल कोलेस्ट्रॉल (HDL cholesterol): यह "गुड" कोलेस्ट्रॉल है जो धमनियों से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल खत्म करने में मदद करता है।
ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides): यह आपके खून में एक और तरह की वसा होती है जो आपके दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकती है।
यहां पर आपके कोलेस्ट्रॉल नंबर के बारे में पूरा विवरण दिया गया है:
कुल कोलेस्ट्रॉल रेंज (Total cholesterol range)-
- औसत: प्रति डेसीलीटर (mg/dL) 200 मिलीग्राम से कम
- उच्च सीमा रेखा: 200-239 mg/dL
- हाई: 240 mg/dL और ज्यादा
LDL cholesterol range-
- ऑप्टिमल: 100 mg/dL से कम
- ऑप्टिमल के करीब: 100-129 mg/dL
- उच्च सीमा रेखा: 130-159 mg/dL
- उच्च: 160-189 mg/dL
- बहुत ज्यादा: 190 mg/dL और उससे ज्यादा
एचडीएल कोलेस्ट्रॉल रेंज (HDL cholesterol range)-
- कम: पुरुषों में 40 mg/dL से कम और महिलाओं में 50 mg/dL से कम
- आदर्श: पुरुषों में 60 mg/dL या ज्यादा और महिलाओं में 55 mg/dL या ज्यादा
ट्राइग्लिसराइड रेंज (Triglycerides range)-
- नॉर्मल: 150 mg/dL से कम
- उच्च सीमा रेखा: 150-199 mg/dL
- उच्च: 200-499 mg/dL
- बहुत ज्यादा: 500 mg/dL और उससे ज्यादा
नॉर्मल सीरम कोलेस्ट्रॉल लेवल क्या है?
वयस्कों के लिए कोलेस्ट्रॉल की कुल नॉर्मल वैल्यू (Total cholesterol normal value for adults): 200 mg/dL से कम
- एलडीएल कोलेस्ट्रॉल नॉर्मल रेंज वैल्यू (LDL cholesterol normal range value): 100 mg/dL से कम
- एचडीएल कोलेस्ट्रॉल नॉर्मल रेंज वैल्यू (HDL cholesterol normal range value): 40 mg/dL या ज्यादा
- ट्राइग्लिसराइड (Triglycerides): 150 mg/dL से कम
अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच कब कराई जानी चाहिए?
आपको कोलेस्ट्रॉल की जांच कब-कब करानी चाहिए, यह आपकी उम्र और दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के लिए खतरे पर निर्भर करता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन 20 साल या इससे ज्यादा के व्यस्कों को हर 4 से 6 साल में कोलेस्ट्रॉल चेक कराने की सलाह देता है। हालांकि, अगर आपके पास निम्न में से कोई भी रिस्क फैक्टर है तो आपको कोलेस्ट्रॉल की जांच अक्सर करानी चाहिए:
- 45 या इससे ज्यादा की उम्र(पुरुष) या 55 या इससे ज्यादा (महिलाएं)
- दिल की बीमारियों या स्ट्रोक की परिवार में हिस्ट्री
- हाई ब्लड प्रेशर
- डायबिटिज
- धूम्रपान
- मोटापा
- हाई ट्राइग्लिसराइड
- लो एचडीएल कोलेस्ट्रॉल
मान लीजिए आपके पास दिल की बीमारियों से जुड़े अन्य जोखिम हैं जैसे हाई कोलेस्ट्रॉल, लो एचडीएल कोलेस्ट्रॉल या हाई ट्राइग्लिसराइड। इस मामले में, आपके डॉक्टर आपको अक्सर कोलेस्ट्रॉल जांचने की सलाह दे सकते हैं।
अगर आप कोलेस्ट्रॉल लेवल पर असर डालने वाली दवाएं जैसे स्टैटिंस और नियासिन का सेवन करते हैं तो यह जरूरी है कि डॉक्टर से कोलेस्ट्रॉल जांचने के बारे में सलाह ली जाए।
आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल पर किसका असर होता है?
आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल पर कुछ फैक्टर का असर होता है, जिसमें शामिल हैं:
अस्वास्थ्यकारी आहार:
हाई सैचुरेटेड और ट्रांस फैट से कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है। सैचुरेटेड फैट एनिमल प्रोडक्ट जैसे रेड मीट, मक्खन और फुल-फैट डेयरी प्रोडक्ट में पाया जाता है। ट्रांस फैट प्रोसेस्ड फूड जैसे फ्राइड और बेक्ड फूड में पाया जाता है।यह जरूरी है कि वो आहार लिया जाए जिसमें सैचुरेटेड और ट्रांस फैट कम हो और उसमें फल, सब्जी और साबुत अनाज ज्यादा हों।
व्यायाम की कमी:
व्यायाम से कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने में मदद मिल सकती है। हफ्ते के ज्यादातर दिनों में 30 मिनट का मध्यम-तीव्र व्यायाम करने की कोशिश करें।
वजन:
ज्यादा वजन या मोटापा आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ा सकते हैं। जबकि इन्हें कम करके कोलेस्ट्रॉल लेवल कम किया जा सकता है।
धूम्रपान:
धूम्रपान से आपके एलडीएल कोलेस्ट्रॉल वैल्यू लेवल बढ़ सकते हैं और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल वैल्यू लेवल कम हो सकते हैं। धूम्रपान छोड़कर कोलेस्ट्रॉल लेवल बेहतर करने में मदद मिल सकती है।
स्वास्थ्य से जुड़ी कोई स्थिति:
स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ खास स्थितियां जिसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और किडनी की बीमारी से भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है।
दवाओं का इस्तेमाल:
कुछ खास दवाएं जैसे स्टैटिंस और नियासिन भी कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ा सकती हैं।
उम्र:
जैसे जैसे आपकी उम्र बढती है, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की रेंज उम्र के हिसाब से बदलती है और यह लेवल बढ़ने लगते हैं।
लिंग:
पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले एलडीएल ज्यादा और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कम होता है। महिलाओं के लिए नॉर्मल कोलेस्ट्रॉल लेवल अलग हो सकता है।
अनुवांशिक:
आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल पर अनुवांशिक असर भी हो सकता है।
आप अपना कोलेस्ट्रॉल कम कैसे कर सकते हैं?
पोषक आहार लें:
इसका मतलब है कम सैचुरेटेड और ट्रांस फैट के साथ ज्यादा फल, सब्जियों और साबुत अनाज वाला आहार लेना।सैचुरेटेड फैट एनीमल प्रोडक्ट जैसे रेड मीट, मक्खन और फुल फैट डेयरी प्रोडक्ट में पाया जाता है। फल, सब्जियां, साबुत अनाज, बींस, दालें, नट, बीज, मछली, ऑलिव ऑयल और एवोकाडो खाएं।
नियमित व्यायाम:
हर दिन कम से कम 30 मिनट का मध्यम तीव्रता वाला व्यायाम करने की कोशिश करें। व्यायाम एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद कर सकते हैं। इससे स्वास्थ्य के लिए सही वजन मेंटेन करने में भी मदद मिल सकती है। वॉकिंग, दौड़ना, बाइकिंग, स्विमिंग, डांसिंग और बागवानी करें।
स्वस्थ्य वजन बनाए रखें:
वजन ज्यादा होना या मोटापा आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ा सकता है। वजन कम करके कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है। थोड़ा बहुत वजन कम होना भी बड़ा असर डाल सकता है।
धूम्रपान छोड़ें:
धूम्रपान आपके एलडीएल लेवल को बढ़ा और एचडीएल लेवल को कम कर सकता है। धूम्रपान छोड़कर कोलेस्ट्रॉल लेवल बेहतर करने में मदद मिल सकती है और दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा भी कम हो सकता है।
अन्य चिकित्सीय परिस्थितियों का प्रबंधन:
अगर आप अन्य चिकित्सीय परिस्थितियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप या किडनी से जुड़ी बीमारी का सामना कर रहे हैं तो जरूरी है कि उनका ध्यान रखा जाए। यह स्थितियां आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ा सकती है, इनको ठीक करके कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने और दिल की बीमारी और स्ट्रोक के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष
कोलेस्ट्रॉल की नियमित तौर पर जांच की जानी जरूरी होती है, खासतौर पर तब जब आपको किसी भी तरह की दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा हो। जीवन शैली में बदलाव और दवाओं के साथ आप अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करके दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकते हैं।
आप अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल जांचने के लिए मेट्रोपोलिसइंडिया के प्रोफेशनल से संपर्क कर सकते हैं। वह आपको घर की सुविधा के बीच टेस्टिंग करने और सटीक परिक्षण परिणाम के फायदे देंगे।