Language
प्लूरिसी: छाती में दर्द और सूजन के कारण, लक्षण और उपचार
176 Views
0

प्लूरिसी क्या है?
प्लूरिसी, जिसे प्लूराइटिस भी कहा जाता है, फेफड़ों के चारों ओर और छाती की गुहा में स्थित प्लूरा नामक दोहरी परत वाली झिल्ली में सूजन होने की स्थिति है। आमतौर पर, यह झिल्ली चिकनी और फिसलन भरी होती है, जिससे सांस लेते समय फेफड़े आसानी से हिलते हैं। लेकिन जब इसमें सूजन हो जाती है, तो यह अपनी चिकनाहट खो देती है, जिससे दोनों परतें आपस में रगड़ खाती हैं और खासतौर पर गहरी सांस लेने या खांसने पर तेज़ छाती दर्द होता है।
प्लूरिसी के कारण आमतौर पर संक्रमण (बैक्टीरियल या वायरल), ऑटोइम्यून बीमारियाँ, या पल्मोनरी एंबोलिज़्म और रिब फ्रैक्चर जैसी अन्य समस्याएँ हो सकती हैं। प्लूरिसी का इलाज इसकी जड़ वजह पर निर्भर करता है।
कैसे पता चले कि हमें प्लूरिसी है?
प्लूरिसी की सबसे प्रमुख पहचान छाती में तेज, चुभने वाला दर्द है, जो गहरी सांस लेने, खांसने या छींकने पर बढ़ जाता है। यह दर्द छाती के किसी एक हिस्से तक सीमित हो सकता है या कंधों और पीठ तक फैल सकता है। अन्य आम लक्षणों में सांस फूलना, खांसी और बुखार शामिल हैं।
प्लूरिसी कैसे होती है?
प्लूरिसी कई अलग-अलग कारणों से हो सकती है। इसके कुछ आम कारण इस प्रकार हैं:
- वायरल संक्रमण – जैसे फ्लू
- बैक्टीरियल संक्रमण – जैसे न्यूमोनिया
- ऑटोइम्यून बीमारियां – जैसे ल्यूपस या रूमेटॉइड आर्थराइटिस
- फेफड़ों का कैंसर
- पल्मोनरी एंबोलिज़्म (फेफड़ों में खून का थक्का बनना)
- टीबी (ट्यूबरकुलोसिस)
- सीने में चोट या पसलियों में फ्रैक्चर
प्लूरिसी किसे प्रभावित कर सकती है?
हालांकि प्लूरिसी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन कुछ लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है, जैसे:
- 65 साल से अधिक उम्र के लोग, जिन्हें फेफड़ों के संक्रमण का ज्यादा खतरा होता है।
- कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग।
- वे लोग जो पहले से न्यूमोनिया, टीबी, ल्यूपस या फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं।
- धूम्रपान करने वाले या पहले धूम्रपान कर चुके लोग।
प्लूरिसी कितनी गंभीर होती है?
प्लूरिसी की गंभीरता इसकी वजह पर निर्भर करती है। अगर यह वायरल संक्रमण के कारण हुई है, तो यह कुछ दिनों या हफ्तों में अपने आप ठीक हो सकती है। लेकिन अगर प्लूरिसी बैक्टीरियल न्यूमोनिया, टीबी या फेफड़ों के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जुड़ी है, तो तुरंत इलाज की जरूरत होती है, ताकि जटिलताओं से बचा जा सके।
प्लूरिसी के लक्षण क्या हैं?
प्लूरिसी के सबसे आम लक्षण इस प्रकार हैं:
- छाती में तेज, चुभने वाला दर्द, जो सांस लेने, खांसने या छींकने पर बढ़ जाता है।
- सांस फूलना।
- खांसी (सूखी या बलगम वाली)।
- बुखार और ठंड लगना।
- तेज़ और हल्की-हल्की सांस लेना।
- एक या दोनों कंधों में दर्द।
- सिरदर्द।
- कुछ मामलों में जोड़ों में दर्द।
प्लूरिसी के कारण क्या हैं?
प्लूरिसी कई वजहों से हो सकती है। आइए इसके मुख्य कारणों को विस्तार से समझते हैं:
संक्रमण:
- वायरल संक्रमण – जैसे इंफ्लूएंजा (फ्लू), मम्प्स, या साइटोमेगालोवायरस।
- बैक्टीरियल संक्रमण – सबसे आम कारण न्यूमोनिया होता है।
- फंगल संक्रमण – खासकर कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में।
- परजीवी संक्रमण – जैसे अमीबायसिस।
ऑटोइम्यून बीमारियां:
- ल्यूपस।
- रूमेटॉइड आर्थराइटिस।
- सरकॉइडोसिस।
- वेगेनर ग्रेन्युलोमैटोसिस।
कैंसर:
- फेफड़ों का कैंसर।
- लिम्फोमा।
- मेसोथेलियोमा (प्लूरा का कैंसर)।
- अन्य कैंसर जो फेफड़ों तक फैल चुके हों।
अन्य कारण:
- पल्मोनरी एंबोलिज़्म (फेफड़ों में खून का थक्का)।
- टीबी (ट्यूबरकुलोसिस)।
- सीने में चोट या पसलियों का फ्रैक्चर।
- कुछ दवाएं।
- हार्ट सर्जरी जैसी मेडिकल प्रक्रियाओं की जटिलताएं।
क्या प्लूरिसी संक्रामक होती है?
प्लूरिसी खुद संक्रामक नहीं होती। लेकिन फ्लू या टीबी जैसे कुछ संक्रमण, जो प्लूरिसी का कारण बन सकते हैं, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते हैं।
क्या प्लूरिसी का COVID-19 से कोई संबंध है?
कुछ शोध बताते हैं कि COVID-19 के कारण प्लूरिसी हो सकती है, क्योंकि यह कई तरह के सांस से जुड़े लक्षण पैदा करता है। अगर आपको प्लूरिसी के लक्षण महसूस हो रहे हैं और आपको COVID-19 का संपर्क होने का संदेह है, तो स्वयं को आइसोलेट करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
प्लूरिसी की जांच कैसे की जाती है?
प्लूरिसी का पता लगाने के लिए शारीरिक जांच, इमेजिंग टेस्ट और लैब टेस्ट किए जाते हैं। डॉक्टर स्टेथोस्कोप से फेफड़ों की आवाज़ सुनते हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि प्लूरा में कोई रगड़ने वाली आवाज़ (प्लूरल फ्रिक्शन रब) आ रही है या नहीं, जो सूजन का संकेत हो सकता है। आपके लक्षण और जोखिम कारक भी जांचे जाते हैं ताकि सही निदान हो सके।
प्लूरिसी की जांच के लिए कौन-कौन से टेस्ट किए जाते हैं?
प्लूरिसी की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित जांचें करने की सलाह दे सकते हैं:
- छाती का एक्स-रे – यह फेफड़ों में पानी भरने (प्लूरल इफ्यूजन), संक्रमण या किसी गांठ (ट्यूमर) का पता लगा सकता है।
- सीटी स्कैन – फेफड़ों और प्लूरा की अधिक विस्तृत तस्वीर दिखाता है, जिससे न्यूमोनिया, पल्मोनरी एंबोलिज़्म या ट्यूमर जैसी बीमारियों की पहचान की जा सकती है।
- अल्ट्रासाउंड – इससे प्लूरल इफ्यूजन का पता लगाया जा सकता है और यदि जरूरत हो तो थोरेसेंटीसिस (फेफड़ों से तरल निकालने की प्रक्रिया) में मदद मिलती है।
- ब्लड टेस्ट – CBC (कम्प्लीट ब्लड काउंट), CRP (C-reactive प्रोटीन) और ESR (एरिथ्रोसाइट सेडिमेंटेशन रेट) जैसी लैब जांचें संक्रमण या सूजन की पहचान करने में मदद कर सकती हैं, जो प्लूरिसी से जुड़ी हो सकती है।
- थोरेसेंटीसिस – कुछ मामलों में, प्लूरा से तरल निकालकर उसकी जांच की जाती है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि संक्रमण, कैंसर या कोई अन्य कारण प्लूरिसी की वजह तो नहीं है।
क्या छाती का एक्स-रे प्लूरिसी दिखा सकता है?
छाती का एक्स-रे अक्सर प्लूरल इफ्यूजन (फेफड़ों के पास तरल जमाव) या अन्य असामान्यताएं दिखा सकता है, जो प्लूरिसी से जुड़ी हो सकती हैं। लेकिन अगर सूजन बहुत कम मात्रा में है, तो यह एक्स-रे में नज़र नहीं आ सकती। ऐसे मामलों में, डॉक्टर सीटी स्कैन की सलाह दे सकते हैं।
प्लूरिसी का इलाज कैसे किया जाता है?
प्लूरिसी का इलाज इसके मूल कारण पर निर्भर करता है। सामान्य उपचार में शामिल हैं:
- दर्द निवारक दवाएं – इबुप्रोफेन जैसी दवाएं छाती के दर्द और तकलीफ को कम करने में मदद कर सकती हैं।
- एंटीबायोटिक्स – अगर प्लूरिसी का कारण बैक्टीरियल संक्रमण है, तो एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।
- कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स – अगर प्लूरिसी किसी ऑटोइम्यून बीमारी के कारण हुई है, तो सूजन कम करने के लिए स्टेरॉयड दवाएं दी जा सकती हैं।
- तरल निकासी (थोरेसेंटीसिस) – अगर प्लूरल इफ्यूजन (फेफड़ों में पानी भरना) ज़्यादा है, तो इसे निकालने की जरूरत पड़ सकती है ताकि लक्षणों में सुधार हो और जटिलताएं न हों।
- मूल कारण का इलाज – न्यूमोनिया, टीबी या कैंसर जैसी बीमारियों का सही प्रबंधन करना प्लूरिसी से राहत पाने के लिए जरूरी है।
हम प्लूरिसी के खतरे को कैसे कम कर सकते हैं?
हर मामले में प्लूरिसी को रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ कदम उठाकर इसका जोखिम कम किया जा सकता है:
- टीकाकरण करवाएं – न्यूमोनिया, फ्लू और टीबी जैसी बीमारियों के खिलाफ वैक्सीन लगवाएं।
- अच्छी हाइजीन बनाए रखें – बार-बार हाथ धोना और साफ-सफाई का ध्यान रखना संक्रमण से बचने में मदद करता है।
- पुरानी बीमारियों का प्रबंधन करें – ऑटोइम्यून रोगों या फेफड़ों की बीमारियों का सही इलाज कराएं।
- धूम्रपान और सेकेंडहैंड स्मोक से बचें – यह फेफड़ों की सेहत को बेहतर बनाए रखता है।
- व्यावसायिक जोखिम से बचें – अगर आप ऐसे माहौल में काम करते हैं जहां एस्बेस्टस (asbestos) जैसी हानिकारक चीज़ों का संपर्क हो सकता है, तो सुरक्षा उपाय अपनाएं।
अगर हमें प्लूरिसी हो जाए तो क्या उम्मीद करें?
प्लूरिसी से उबरने में कितना समय लगेगा, यह इसके कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है। ज्यादातर मामलों में, उपयुक्त इलाज से कुछ दिनों से लेकर हफ्तों में सुधार हो जाता है। लेकिन अगर कोई पुरानी बीमारी इसका कारण है, तो कुछ लोगों को बार-बार प्लूरिसी हो सकती है। नियमित रूप से डॉक्टर से फॉलो-अप करवाना जरूरी है ताकि आपकी रिकवरी ट्रैक की जा सके और जटिलताओं को रोका जा सके।
क्या प्लूरिसी अपने आप ठीक हो सकती है?
अगर प्लूरिसी हल्की है और किसी वायरल संक्रमण के कारण हुई है, तो यह खुद ही ठीक हो सकती है और किसी खास इलाज की जरूरत नहीं पड़ सकती। लेकिन सही निदान और उचित इलाज के लिए डॉक्टर से सलाह लेना जक्या प्लूरिसी से कोई जटिलताएँ हो सकती हैं?
अगर प्लूरिसी का सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह प्लूरल इफ्यूजन (फेफड़ों के आसपास तरल जमा होना), एम्पयमा (संक्रमण) या फेफड़ों में स्कारिंग (निशान पड़ना) जैसी समस्याएँ पैदा कर सकती है, जो फेफड़ों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
क्या प्लूरिसी दोबारा हो सकती है?
हाँ, प्लूरिसी बार-बार हो सकती है, खासकर उन लोगों में जिनकी कोई ऑटोइम्यून बीमारी या पुरानी फेफड़ों की समस्या हो।
- अगर हमें प्लूरिसी का खतरा हो तो खुद का ख्याल कैसे रखें?
- अगर आपको प्लूरिसी का खतरा है, तो इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार अपनी पुरानी बीमारियों को कंट्रोल में रखें।
- धूम्रपान और फेफड़ों को नुकसान पहुँचाने वाले तत्वों से दूर रहें।
- शारीरिक रूप से एक्टिव रहें और हेल्दी वज़न बनाए रखें।
- ज़रूरी टीकाकरण करवाएँ।
- अच्छी सेल्फ-केयर करें – संतुलित आहार लें, भरपूर नींद लें और तनाव को मैनेज करें।
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर आपको ये लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
- सांस लेने पर बढ़ने वाला सीने में दर्द
- सांस लेने में दिक्कत
- लगातार खांसी बनी रहना
- बुखार और ठंड लगना
- बिना किसी वजह के वजन कम होना
- खून या जंग के रंग जैसा बलगम आना
निष्कर्ष
प्लूरिसी एक तकलीफदेह और चिंता बढ़ाने वाली स्थिति हो सकती है, लेकिन इसके कारण, लक्षण और इलाज के बारे में सही जानकारी होना आपको अपनी फेफड़ों की सेहत को बेहतर तरीके से संभालने में मदद कर सकता है। अगर आपको प्लूरिसी के लक्षण महसूस हों, तो बिल्कुल देर न करें और सही जांच व इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर में हम सटीक डायग्नोस्टिक सेवाएँ प्रदान करते हैं, जिनमें घर बैठे सैंपल कलेक्शन की सुविधा भी शामिल है, ताकि आप आसानी से सही जांच और इलाज पा सकें। हमारे अनुभवी फ्लेबोटॉमिस्ट्स और आधुनिक लैब्स आपको भरोसेमंद नतीजे देते हैं, वहीं हमारी ऑनलाइन पोर्टल और ऐप से अपनी रिपोर्ट्स एक्सेस करना भी बेहद आसान हो जाता है।