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मानसून में होने वाली आम बीमारियाँ और उनसे बचाव के तरीके
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परिचय
मानसून गर्मी से ज़रूरी राहत देता है, लेकिन यह अपने साथ स्वास्थ्य सम्बंधित कई चुनौतियाँ भी लेकर आता है। वातावरण में नमी और स्थिर पानी कई तरह के रोगाणुओं के लिए प्रजनन स्थल बन जाते हैं, जिससे मानसून में बीमारियाँ बढ़ जाती हैं। इस समय अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए, इन बरसाती बीमारियों को समझना और इनसे बचाव के तरीके जानना ज़रूरी है।
मानसून में होने वाली बीमारियों की सूची
डेंगू
डेंगू एक वायरल बीमारी है जो एडीज मच्छर द्वारा फैलती है, जो स्थिर पानी में पनपती है। डेंगू के लक्षणों में तेज बुखार, तेज सिरदर्द, आँखों के पीछे दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, रैश और ब्लीडिंग शामिल हैं।
चिकनगुनिया
चिकनगुनिया मच्छरों द्वारा फैलने वाली एक और वायरल बीमारी है, जिसमें तेज बुखार, जोड़ों में तेज दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, थकान और रैश होते हैं। जोड़ों का दर्द कमज़ोर कर देने वाला हो सकता है और हफ़्तों तक रह सकता है।
मलेरिया
मलेरिया प्लास्मोडियम पैरासाइट के कारण होता है, जो संक्रमित एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। लक्षणों में तेज़ बुखार, ठंड लगना, पसीना आना, सिरदर्द, मतली और उल्टी शामिल हैं।
टाइफाइड
टाइफाइड एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो दूषित भोजन और पानी से फैलता है। यह लंबे समय तक बुखार, कमज़ोरी, पेट में दर्द, सिरदर्द और भूख न लगना जैसी समस्याओं से जुड़ा है। गंभीर मामलों में, आंतों से खून बह सकता है।
वायरल फीवर
वायरल फीवर विभिन्न वायरस के कारण होने वाले इन्फेक्शन को कहते हैं। लक्षणों में तेज़ बुखार, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, थकान और कभी-कभी रैश हो सकते हैं। ये संक्रमण आमतौर पर खुद ही ठीक हो जाते हैं लेकिन अनकम्फर्टेबल हो सकते हैं।
इन्फ्लूएंजा
इन्फ्लूएंजा या फ्लू इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाला एक कॉन्टेजियस सांस की बीमारी है। लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, खांसी, गले में खराश, बहती या भरी हुई नाक, शरीर में दर्द, सिरदर्द, थकान, कभी-कभी उल्टी और दस्त शामिल हैं।
हैजा (कॉलरा)
हैजा (कॉलरा) बैक्टीरिया विब्रियो कोलेरा के कारण होने वाला एक दस्त इन्फेक्शन है। यह दूषित पानी और भोजन से फैलता है और गंभीर डिहाइड्रेशन का कारण बनता है, जो तुरंत इलाज न किए जाने पर घातक हो सकता है।
पीलिया
पीलिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें ब्लड में बिलीरुबिन के हाई लेवल के कारण त्वचा और आंखों में पीलापन होता है। यह विभिन्न कारकों के कारण हो सकता है, जिसमें हेपेटाइटिस जैसे लिवर इन्फेक्शन शामिल हैं।
हेपेटाइटिस A और E
हेपेटाइटिस A और E दूषित भोजन और पानी से फैलने वाले वायरल लिवर इन्फेक्शन हैं। लक्षणों में पीलिया, थकान, पेट में दर्द, भूख न लगना और मतली शामिल हैं। हेपेटाइटिस E गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से खतरनाक है।
सर्दी और फ्लू
तापमान और ह्यूमिडिटी में उतार-चढ़ाव के कारण मानसून के दौरान सर्दी और फ्लू आम है। इसके लक्षणों में बहती या भरी हुई नाक, गले में खराश, खांसी, शरीर में दर्द, सिरदर्द और बुखार शामिल हैं।
लेप्टोस्पायरोसिस
लेप्टोस्पायरोसिस एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो इन्फेक्टेड जानवरों के यूरिन द्वारा दूषित पानी के संपर्क में आने से फैलता है। इससे तेज़ बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, पीलिया और लाल आँखें हो सकती हैं।
पेट फ्लू
पेट फ्लू या वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस, आंतों का इन्फेक्शन है, जिसमें पानी जैसे दस्त, पेट में दर्द, मतली और उल्टी और कभी-कभी बुखार होता है। यह दूषित भोजन या पानी से फैलता है।
मानसून में होने वाली विभिन्न बीमारियों से खुद को बचाने के लिए रोकथाम की टिप्स
स्थिर पानी, बढ़ी हुई नमी और कीड़ों की अधिकता के कारण मानसून में होने वाली विभिन्न बीमारियां बढ़ जाती हैं। इन बरसाती बीमारियों से खुद को बचाने के लिए यहाँ कुछ प्रभावी रोकथाम के सुझाव दिए गए हैं।
व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें
मानसून के दौरान बीमारियों से बचने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। अपने हाथों को साबुन और पानी से धोएँ, खासकर बारिश के पानी के संपर्क में आने के बाद। अपने नाखूनों को छोटा रखें और गंदे हाथों से अपने चेहरे को छूने से बचें।
स्वच्छ पानी पिएं
बारिश के मौसम में हैजा, टाइफाइड और गैस्ट्रोएंटेराइटिस जैसी वाटर बॉर्न बीमारियाँ आम हैं। सुनिश्चित करें कि आप केवल शुद्ध या उबला हुआ पानी पिएं। अगर आप नल के पानी पर निर्भर हैं, तो वाटर प्यूरीफायर का उपयोग मानसून की बीमारियों की रोकथाम में मदद कर सकता है।
ताज और घर का बना खाना खाएं
दस्त और फूड पॉइजनिंग जैसी खाद्य जनित बीमारियों से बचने के लिए, ताजा और अच्छी तरह से पका हुआ खाना खाएं। स्ट्रीट फूड से बचें और खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोएं।
मॉस्किटो रिपेलेंट का इस्तेमाल करें
डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियाँ मच्छरों से फैलती हैं, जो स्थिर पानी में पनपते हैं। मच्छरों के काटने को कम करने के लिए मॉस्किटो रिपेलेंट, नेट्स का इस्तेमाल करें और लंबी स्लीव वाले कपड़े पहनें। पानी इकट्ठा करने वाले बर्तन जैसे कि फूलदान और बाल्टी को साफ रखें, ताकि मच्छरों के पनपने की जगह कम हो।
अपने आस-पास की जगह को साफ रखें
मानसून में होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए साफ-सुथरा वातावरण होना ज़रूरी है। सुनिश्चित करें कि आपके आस-पास के इलाके में स्थिर पानी ना हो, जो मच्छरों के पनपने का स्थान हो सकता है। कचरे का सही तरीके से निपटान करें और सुनिश्चित करें कि पानी जमा होने से रोकने के लिए नालियाँ और गटर बंद न हों।
बारिश से खुद को बचाएं
बारिश में भीगने से इन्फेक्शन और बीमारियाँ हो सकती हैं। खुद को बचाने के लिए छाता लेकर जाएं या रेनकोट पहनें। फंगल इन्फेक्शन से बचने के लिए गीले कपड़े तुरंत बदलें और खुद को अच्छी तरह से सुखाएं।
अपनी इम्युनिटी बढ़ाए
बारिश के मौसम में होने वाली बीमारियों से लड़ने के लिए एक इम्यून सिस्टम बहुत ज़रूरी है। अपनी डाइट में इम्युनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ शामिल करें, जैसे कि विटामिन C से भरपूर फल, सब्जियाँ और दही जैसे प्रोबायोटिक्स। हाइड्रेटेड रहना और पर्याप्त मात्रा में नींद लेना भी हेल्थी इम्यून सिस्टम में योगदान दे सकता है।
वैक्सीनेशन और मेडिकल एडवाइस
अपने डॉक्टर से उन वैक्सीनेशन के बारे में सलाह लें जो आपको मानसून रोगों से बचा सकते हैं। मेडिकल एडवाइस फॉलो करें, खासकर अगर आपको कोई बीमारी है जो आपको बरसात के मौसम में इन्फेक्शन होने की संभावना है।
जागरूकता और सक्रिय उपाय मानसून की बीमारियों को दूर रखने में मदद करते हैं।
निष्कर्ष
मानसून के दौरान बरसात के मौसम में होने वाली बीमारियाँ और उनकी रोकथाम ज़रूरी है। साफ-सफाई और व्यावहारिक स्वच्छता बनाए रखने से इन मानसूनी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। अगर आप उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस करते हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह करें।
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